Shiv Tandav Stotram : Complete Lyrics, Benefits, and Worship Guide
Introduction
Shiv Tandav Stotram, an enchanting hymn dedicated to Lord Shiva, holds a special place in the hearts of devotees. It was composed by the demon king Ravana, this stotra is a powerful expression of devotion and reverence. It celebrates the cosmic dance of Lord Shiva, symbolizing creation, preservation, and destruction. The rhythmic verses and profound meanings resonate deeply with those who chant it.
शिव तांडव स्तोत्रम, भगवान शिव को समर्पित एक मंत्रमुग्ध कर देने वाला स्तोत्र, भक्तों के दिलों में विशेष स्थान रखता है। राक्षस राजा रावण द्वारा रचित यह स्तोत्र भक्ति और श्रद्धा की एक शक्तिशाली अभिव्यक्ति है। यह सृष्टि, संरक्षण और विनाश का प्रतीक भगवान शिव के ब्रह्मांडीय नृत्य का उत्सव मनाता है। तालबद्ध छंद और गहन अर्थ उन लोगों के साथ गूंजते हैं जो इसका जाप करते हैं।
Benefits
Chanting the Shiv Tandav Stotram offers numerous benefits, including the following:
- Spiritual Growth: Enhances spiritual awareness and connection with the divine.
- Mental Peace: Reduces stress and brings mental tranquility.
- Positive Energy: Fills the environment with positive vibrations and purifies the mind.
- Health Benefits: Promotes overall well-being and health.
- Focus and Concentration: Improves focus and concentration, making the mind more disciplined.
शिव तांडव स्तोत्रम का जाप करने से कई लाभ होते हैं:
- आध्यात्मिक विकास: आध्यात्मिक जागरूकता और दिव्य से संबंध बढ़ाता है।
- मानसिक शांति: तनाव को कम करता है और मानसिक शांति लाता है।
- सकारात्मक ऊर्जा: वातावरण को सकारात्मक कंपन से भरता है और मन को शुद्ध करता है।
- स्वास्थ्य लाभ: समग्र कल्याण और स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है।
- एकाग्रता और ध्यान: एकाग्रता और ध्यान में सुधार करता है, जिससे मन अधिक अनुशासित होता है।
Method How to Perform
Steps to Chant Shiv Tandav Stotram:
- Preparation: Find a quiet place, ideally a clean and sacred space. Sit comfortably, keeping your spine straight.
- Meditation: Close your eyes and take a few deep breaths to calm your mind. Focus on Lord Shiva’s image or a Shiva Lingam.
- Invocation: Offer a prayer to Lord Shiva, seeking his blessings.
- Chanting: Begin chanting the Shiv Tandav Stotram with devotion. You can use a printed copy or listen to a recorded version to follow along.
- Repetition: Chant the stotram multiple times, ideally 3, 7, or 11 times, to deepen the connection.
- Conclusion: Conclude with a prayer of gratitude to Lord Shiva and sit quietly for a few moments, absorbing the vibrations.
शिव तांडव स्तोत्रम का जाप कैसे करें:
- तैयारी: एक शांत स्थान खोजें, आदर्श रूप से एक स्वच्छ और पवित्र स्थान। अपनी रीढ़ को सीधा रखते हुए आराम से बैठें।
- ध्यान: अपनी आँखें बंद करें और अपने मन को शांत करने के लिए कुछ गहरी साँसें लें। भगवान शिव की छवि या शिवलिंग पर ध्यान केंद्रित करें।
- आवाहन: भगवान शिव की प्रार्थना करें, उनसे आशीर्वाद मांगें।
- जाप: भक्ति के साथ शिव तांडव स्तोत्रम का जाप शुरू करें। आप एक मुद्रित प्रति का उपयोग कर सकते हैं या अनुसरण करने के लिए रिकॉर्ड की गई संस्करण सुन सकते हैं।
- पुनरावृत्ति: संबंध को गहरा करने के लिए स्तोत्र का कई बार जाप करें, आदर्श रूप से 3, 7, या 11 बार।
- समाप्ति: भगवान शिव को धन्यवाद की प्रार्थना के साथ समाप्त करें और कुछ क्षणों के लिए चुपचाप बैठें, कंपन को आत्मसात करें।
Shiv Tandav Stotram Lyrics in hindi
शिव तांडव स्तोत्रम (हिंदी में)
जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजंगतुंगमालिकाम्।
डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं
चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम्॥१॥
जटाकटाहसंभ्रमभ्रमन्निलिम्पनिर्झरी
विलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्धनि।
धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावके
किशोरचन्द्रशेखरे रति: प्रतिक्षणं मम॥२॥
धराधरेन्द्रनंदिनीविलासबन्धुबन्धुर
स्फुरद्दिगन्तसंततिप्रमोदमानमानसे।
कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि
क्वचिद्विगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि॥३॥
जटाभुजंगपिंगलस्फुरत्फणामणिप्रभा
कदम्बकुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे।
मदान्धसिंधुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे
मनोविनोदद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि॥४॥
सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर
प्रसूनधूलिधोरणी विधूसराङ्घ्रिपीठभूः।
भुजंगराजमालया निबद्धजाटजूटकः
श्रियैचिरायजायतां चकोरबन्धुशेखरः॥५॥
ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ्गभा
निपीतपञ्चसायकं नमन्निलिंपनायकम्।
सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं
महाकपालिसम्पदेशिरोजटालमस्तु नः॥६॥
करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल
द्धनञ्जयाहुतिकृतप्रचण्डपञ्चसायके।
धराधरेन्द्रनन्दिनीकुचाग्रचित्रपत्रक
प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम॥७॥
नवीनमेघमण्डली निरुद्धदुर्धरस्फुरत्
कुहूनिशीथिनीतमः प्रबन्धबद्धकन्धरः।
निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिन्धुरः
कलानिधानबन्धुरः श्रियं जगद्धुरंधरः॥८॥
प्रफुल्लनीलपङ्कजप्रपञ्चकालिमाच्छटा
विडम्बिकण्ठकन्धलीरुचिप्रबद्धकन्धरम्।
स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं
गजच्छिदाऽन्धकच्छिदं तमन्तकच्छिदं भजे॥९॥
अखर्वसर्वमङ्गलाकलाकदम्बमञ्जरी
रसप्रवाहमाधुरी विजृम्भणामधुव्रतम्।
स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं
गजान्तकान्धकान्तकं तमन्तकान्तकं भजे॥१०॥
जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्भुजङ्गमश्वस
विनिर्गमत्क्रमस्फुरत्करालभालहव्यवाट्।
धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्गतुङ्गमङ्गल
ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्डताण्डवः शिवः॥११॥
दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजङ्गमौक्तिकस्रजोर
गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः।
तृष्णारविन्दचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः
समप्रवृत्तिक: कदा सदाशिवं भजाम्यहम्॥१२॥
कदा निलिम्पनिर्झरीनिकुञ्जकोटरे वसन्
विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरःस्थमञ्जलिं वहन्।
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः
शिवेति मंत्रमुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम्॥१३॥
इदं हि नित्यमेव मुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं
पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेतिसंततम्।
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथा गतिं
विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम्॥१४॥
पूजावसानसमये दशवक्रत्रगीतं
यः शम्भुपूजनपरं पठति प्रदोषे।
तस्य स्थिरां रथगजेन्द्रतुरङ्गयुक्तां
लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शम्भुः॥१५॥
Shiv Tandav Stotram lyrics (in English)
Jatatavigalajjala pravahapavitasthale
Gale’valambya lambitam bhujangatungamalikam |
Damad damad damaddama ninadavadamarvayam
Chakara chandtandavam tanotu nah shivah shivam || 1 ||
Jata katahasambhrama bhramanilimpanirjhari
Vilolavichivalarai virajamanamurdhani |
Dhagaddhagaddhagajjvalal lalata pattapavake
Kishora chandrashekhare ratih pratikshanam mama || 2 ||
Dharadharendranandini vilasabandhubandhura
Sphuraddigantasantati pramodamanamanase |
Krupakatakshadhorani niruddhadurdharapadi
Kvachiddigambare manovinodametuvastuni || 3 ||
Jata bhujan gapingala sphuratphanamaniprabha
Kadambakunkuma dravapralipta digvadhumukhe |
Madandha sindhu rasphuratvagutariyamedure
Mano vinodamadbhutam bibhartu bhutabhartari || 4 ||
Sahasra lochana prabhritya sheshalekha shekhara
Prasuna dhulidhorani vidhu saranghripeethabhuh |
Bhujangaraja malaya nibaddhajatajutaka
Shriyai chiraya jayata chandramoulishekharah || 5 ||
Lalata chatvarajvaladhananjayasphulingabha
Nipitapajnchasayakam namannilimpanayakam |
Sudhamayukhalekhaya virajamanashekharam
Mahakapali sampade shirojatalamastunah || 6 ||
Karala bhala pattikadhagaddhagaddhagajjvala
Ddhanajnjaya hutikruta prachandapajnchasayake |
Dharadharendranandini kuchagrachitrapatraka
Prakalpanaikashilpini trilochane ratirmama || 7 ||
Navina megha mandali niruddhadurdharasphurat
Kuhunishithinitamah prabandhabaddhakandharah |
Nilimpanirjhari dharastanotu krutti sindhurah
Kalanidhanabandhurah shriyam jagaddhurandharah || 8 ||
Praphulla nila pankaja prapajnchakalimchatha
Vdambi kanthakandali raruchi prabaddhakandharam |
Smarachchidam purachchidam bhavachchidam makhachchidam
Gajachchidandhakachidam tamantakachchidam bhaje || 9 ||
Akharvagarvasarvamangala kalakadambamajnjari
Rasapravaha madhuri vijrumbhana madhuvratam |
Smarantakam purantakam bhavantakam makhantakam
Gajantakandhakantakam tamantakantakam bhaje || 10 ||
Jayatvadabhravibhrama bhramadbhujangamasafur
Dhigdhigdhi nirgamatkarala bhaal havyavat |
Dhimiddhimid dhimidhvananmrdangatungamangala
Dhvanikramapravartita prachanda tandavah shivah || 11 ||
Drushadvichitratalpayor bhujanga mauktikasrajor
Garishtharatnaloshthayoh suhrudvipakshapakshayoh |
Trushnaravindachakshushoh prajamahimahendrayoh
Sama pravartayanmanah kadamka ramayanmama || 12 ||
Kada nilimpanirjhari nikujnjakotare vasan
Vimuktadurmatih sada shirah sthamajnjalim vahan |
Vimuktalolalochano lalamabhalalagnakah
Shiveti mantramuchcharan sada sukhi bhavamyaham || 13 ||
Imam hi nityameva muktamuttamottamam stavam
Pathansmaran bruvannaro vishuddhimeti santatam |
Hare gurau subhaktimashu yati nanyatha gatim
Vimohanam hi dehinam sushankarasya chintanam || 14 ||
Puja vasanasamaye dashavaktragitam
Yah shambhupujanaparam pathati pradoshhe |
Tasya sthiram rathagajendraturangayuktam
Lakshmim sadaiva sumukhim pradadati shambhuh || 15 ||
FAQ
Q1: What is the significance of Shiv Tandav Stotram?
A1: Shiv Tandav Stotram is a hymn that glorifies the cosmic dance of Lord Shiva, representing creation, preservation, and destruction. It is believed to invoke divine blessings and spiritual growth.
Q2: How often should one chant the Shiv Tandav Stotram?
A2: Ideally, one should chant the stotram daily, especially during early morning hours or during Pradosh (evening time). Chanting it 3, 7, or 11 times in a session is considered auspicious.
Q3: Can anyone chant Shiv Tandav Stotram?
A3: Yes, anyone with devotion and reverence can chant Shiv Tandav Stotram. It is open to all, regardless of age, gender, or religious background.
Q4: What are the prerequisites for chanting Shiv Tandav Stotram?
A4: There are no strict prerequisites, but it is recommended to have a clean body and a pure mind. Finding a quiet place to chant without disturbances enhances the experience.
Q5: What are the benefits of listening to Shiv Tandav Stotram?
A5: Listening to Shiv Tandav Stotram can bring peace, positive energy, and spiritual upliftment. It is also said to purify the mind and surroundings.
Q1: शिव तांडव स्तोत्रम का महत्व क्या है?
A1: शिव तांडव स्तोत्रम एक ऐसा स्तोत्र है जो भगवान शिव के ब्रह्मांडीय नृत्य की महिमा का गुणगान करता है, जो सृष्टि, संरक्षण और विनाश का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि यह दिव्य आशीर्वाद और आध्यात्मिक विकास को आमंत्रित करता है।
Q2: शिव तांडव स्तोत्रम का जाप कितनी बार करना चाहिए?
A2: आदर्श रूप से, किसी को प्रतिदिन, विशेष रूप से सुबह के शुरुआती घंटों के दौरान या प्रदोष (शाम के समय) के दौरान स्तोत्र का जाप करना चाहिए। एक सत्र में इसे 3, 7, या 11 बार जाप करना शुभ माना जाता है।
Q3: क्या कोई भी शिव तांडव स्तोत्रम का जाप कर सकता है?
A3: हाँ, कोई भी भक्ति और श्रद्धा के साथ शिव तांडव स्तोत्रम का जाप कर सकता है। यह सभी के लिए खुला है, चाहे उनकी आयु, लिंग या धार्मिक पृष्ठभूमि कुछ भी हो।
Q4: शिव तांडव स्तोत्रम का जाप करने के लिए क्या आवश्यकताएं हैं?
A4: कोई सख्त आवश्यकताएं नहीं हैं, लेकिन स्वच्छ शरीर और पवित्र मन होना अनुशंसित है। बिना किसी रुकावट के जाप करने के लिए एक शांत जगह ढूंढना अनुभव को बढ़ाता है।
Q5: शिव तांडव स्तोत्रम सुनने के क्या लाभ हैं?
A5: शिव तांडव स्तोत्रम सुनने से शांति, सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक उत्थान मिलता है। यह मन और परिवेश को शुद्ध करने वाला भी कहा जाता है।
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